Sonia Jadhav

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तुम पर गर्व है माँ

छाया कल मृदुला को देखने के लिए लड़के वाले आने वाले हैं। लड़का बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। सब तैयारी अच्छे से हो जानी चाहिये।
जी प्रकाश सब हो जायेगा अच्छे से, आप चिंता मत करिए।

मृदुला वहीँ सोफे पर बैठी अपने माता-पिता की बात सुन रही थी। बहुत से लड़के आ चुके थे देखने के लिए और ना करके जा चुके थे। मेरे पास तो हाँ करने के सिवा कोई और चारा ही नहीं था। यूँ तो मैं भी पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी और अच्छी कंपनी में काम करती थी लेकिन मैं साधारण रंग रूप की थी और कद की थोड़ी छोटी थी।

हम सब कितनें ही आधुनिक और बुद्विजीवी होने का दिखावा चाहे कितना ही क्यों ना करे लेकिन हर माँ को अपने साधारण से दिखने वाले लड़के के लिए भी बहु ऐश्वर्या राय जैसी सुंदर ही चाहिये। नौकरी करने वाली लड़की को रसोई से लेकर घर के सभी कार्यो में दक्ष होना चाहिए और अगर वो ऐसी नहीं है तो फिर तो शादी होना असंभव सा ही है। माँओं के साथ-साथ उनके पढ़े लिखे बेटों का भी यही हाल है।

अक्सर अपने कमरे में खुद से ही बातें करके मन का बोझ हल्का कर लेती हूँ। भीतर ही भीतर सुलगती रहती हूँ, लेकिन पापा के सामने यह कहने की हिम्मत नहीं है। पापा बहुत ही सख्त किस्म के इंसान है। उनका अपने हाथ पर नियंत्रण नहीं है, वो कभी भी उठ जाता है माँ पर, मेरी गलतियों की वजह से। मुझे बचाने के चक्कर में माँ अक्सर पिस जाती है। पापा ने मुझे सिर्फ इसलिए पढ़ाया ताकि मेरी शादी आराम से हो सके क्योंकि आजकल हर किसी को पढ़ी लिखी, कमाऊ लड़की चाहिए।

खैर मैं कल फिर फेयर एंड लवली लगाकर और हील वाली सैंडल्स पहनकर लोगों के मापदंडों पर उतरने की कोशिश करुँगी।

अगले दिन रमन अपने माता-पिता के साथ आता है देखने के लिए। हम दोनों के बीच औपचारिक बातचीत होती है और रिश्ता तय हो जाता है। रमन  की एक ही शर्त होती है कि उसे हाउसवाइफ चाहिए होती है। मेरे पापा हाँ कर देते हैं और मैं चाहकर भी विरोध नहीं कर पाती।

जल्दी ही मेरी सगाई भी हो जाती है और शादी की तारीख 2 महीने बाद की निकलती है।
मेरे सभी रिश्तेदार, मम्मी-पापा के अनुसार मैं बहुत किस्मतवाली होती हूँ क्योंकि मेरे साधारण रंग रूप और कम हाइट के बाद भी रमन जैसे सुंदर लड़के ने मुझसे शादी करने के लिए हाँ कही होती है।

मुझे रोज रमन फोन करते होते हैं। सगाई और शादी के बीच का समय बड़ा ही प्यारा होता है। हम इस दौरान चार-पांच बारी मिलते भी हैं और मुझे रमन से प्यार हो जाता है। मुझे भी अपनी खुशकिस्मती पर नाज़ होने लगता है।

दो महीने बाद हमारी शादी हो जाती है। रमन की माँ मुझे रमन के कमरे में छोड़कर जाती है। कमरा बहुत ही सुंदर सजाया हुआ होता है एकदम जैसे फिल्मों में सजा हुआ होता है। यह सब देखकर मन एक अलग ही उड़ान पर होता है। रात के ग्यारह बजते हैं, फिर बारह, फिर एक….रमन का इंतज़ार करते-करते कब आँख लग जाती है, पता ही नहीं चलता। सुबह उठती हूँ तो रमन साथ में सोया हुआ होता है।

मैं उठकर तैयार होती हूँ, तब तक रमन भी उठ चुका होता है।
रमन तुम कल रात कहाँ थे? मैंने कल रात एक बजे तक जागकर तुम्हारा इंतज़ार किया और तुम नहीं आए?

मुझे कुछ काम था, इसलिए देर हो गयी थी।

भला शादी की पहली रात को कौनसा ऐसा जरुरी काम आ गया जो तुमने इतनी देर कर दी आने में?

रमन मेरे करीब आया और मेरा मुँह जोर से पकड़ा…..कुछ ज्यादा सवाल नहीं कर रही तुम?
अभी तो सिर्फ मुँह पकड़ा है, याद रखना मुझे तोड़ना भी आता है।

मैं चिल्लाई….छोड़ो मुझे।
तुम्हारा चिल्लाना यहाँ कोई नहीं सुनने वाला, मम्मी पापा सुबह ही पंजाब निकल गये।
मैं मन ही मन सोचने लगी ऐसे कैसे निकल गए मुझसे बिना कुछ कहे।
कुछ समझ नहीं आ रहा था। शादी से पहले वाला रमन असली था या यह वाला?

शादी को 15 दिन बीत चुके थे और रमन ने मुझे अभी तक छुआ नहीं था। जब रात को रमन घर आया तो मैंने ही उसके करीब जाने की पहल की तो उसने मुझे दूर झिटक दिया।

मुझे भी गुस्सा आ गया….15 दिन हो गए हैं हमारी शादी को और हमारे बीच पति-पत्नी जैसा कुछ भी नहीं है। क्या तुम किसी और लड़की से प्यार करते हो या फिर तुम?….

रमन ने हँसते हुए कहा…..मैं लड़की क्या लड़के के साथ भी सम्बन्ध रखने लायक नहीं हूँ। समझी तुम।

मेरा तो सिर ही घूमने लगा था यह सब सुनकर…..इसका मतलब तुम इंपोटेंट हो?

हाँ मैं इंपोटेंट हूँ, मैं तुम्हारी जरूरतें पूरी नहीं कर सकता और अगर तुमने यह बात किसी को बताई तो मैं तुम्हें जिन्दा नहीं छोडूंगा?
मेरा एक दोस्त है तुम चाहो तो मैं उसे घर पर बुला सकता हूँ।

बंद करो ये अपनी बकवास और तुम जाओ यहाँ से रमन।

मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और मैं फफक- फफक कर रोने लगी। मन ही मन प्रार्थना करने लगी भगवान ऐसी खुशकिस्मती किसी को ना दे।

मैं रमन के ऑफिस जाते ही अपने मम्मी पापा के घर चली गयी। मम्मी को देखते ही मैं मम्मी के गले लगकर रोने लगी।
कुछ तो बता बात क्या है? इस तरह रो क्यों रही है?
तभी पापा आ जाते हैं…. मृदुला तू अकेली कैसे आ गयी घर और रमन कहाँ है? बात क्या है?

अब पापा के सामने रमन की सच्चाई कैसे बताती। मैंने मम्मी को अकेले में जाकर सब सच बता दिया।
तू चिंता मत कर मृदुला। मैं तेरे पापा से बात करके आती हूँ।

क्या हुआ छाया? मृदुला ऐसे क्यों घर छोड़कर चली आयी है यहाँ?

रणबीर इंपोटेंट है। वो वैवाहिक रिश्ता बनाने में असमर्थ है।

कुछ मिनट के लिए तो मृदुला के पापा यह सुनकर हैरान हो गए, फिर बोले….. अब जो भी है उसकी किस्मत है। लड़कियों की ऐसी चीजों में रूचि रखना अच्छी बात नहीं है। शादी का मतलब सिर्फ सम्बन्ध बनाना तो नहीं होता ना?

उसे कहो वो अपने घर जाए, हमारा उससे कोई लेना देना नहीं है अब। एक तो पहले ही इतनी मुश्किल से पीछा छुड़ाया था उससे, इतनी मुश्किल से शादी की थी। अब यह ऐसे घर पर आकर बैठ गयी तो समाज में हमारी थू-थू हो जायेगी। मैं अभी रमन को फोन करता हूँ।

पता नहीं माँ में कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी, उन्होंने पापा के हाथ से फोन छीनकर सोफे पर फैंक दिया।

मम्मी गुस्से से बोली….दिमाग खराब हो गया है क्या तुम्हारा? पूरी जिंदगी एक नामर्द के साथ कैसे काटेगी हमारी बेटी। जिस शादी में प्यार नहीं,वो शादी किस काम की?

पापा ने अचानक से माँ के चेहरे पर थप्पड़ रसीद कर दिया जिससे माँ कराह उठी। तू ही अपनी बेटी को यह गन्दी बातें सीखा रही है?

मृदुला बीच में आ जाती है और अपने पापा के सामने जाकर खड़ी हो जाती है। बस करिये आप….. मैं जा रही हूँ वापिस रमन के घर। माँ मुझे रोकने का प्रयास करती है लेकिन पापा माँ को रोक लेते हैं।

घर पहुंचते ही…..
अरे तुम तो घर वापिस आ गयी, मम्मी पापा ने घर में रहने नहीं दिया क्या?
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और अपने कमरे में जाने लगी।

रमन ने मेरा हाथ पीछे से मरोड़ा और कहने लगा…कल से हर रात एक नया बंदा आयेगा, तुम्हारे प्यार की तपिश को शांत करने के लिए, अब तो खुश हो ना?
तुम तो दलाल निकले रमन, नामर्द दलाल।

रमन फिर से मुझे मारने की कोशिश करता है लेकिन रुक जाता है। इस चेहरे के पैसे लिए हैं मैंने इसलिए खराब नहीं कर सकता, वरना तो तुम जानती नहीं मैं क्या कर सकता हूँ।

तुम्हारे माता पिता को मालूम है तुम्हारी काली करतूतों के बारे में?
मैं अनाथ हूँ, वो किराये के माँ-बाप थे और वो जोर से हँसने लग जाता है।

अगले दिन रमन मुझे लॉक करके ऑफिस चला जाता है। मैं मम्मी को फिर से फोन करती हूँ और उन्हें सब कुछ बता देती हूँ। मम्मी कहती है तू चिंता मत कर मैं अभी आ रही हूँ तुझे लेने।
तभी पापा की आवाज आती है…..अगर तुम छाया उसे लेने गयी तो फिर से यहाँ कभी लौटकर मत आना।

छाया तू फोन रख, मैं आ रही हूँ।

मेरी बात टालने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? जैसे ही प्रकाश छाया पर हाथ उठाता है वैसे ही छाया उसके मुँह पर कसकर एक तमाचा मार देती है।

…. बस बहुत हो गया प्रकाश। अब बात मेरी बेटी की है, मेरी नहीं। मृदुला को मैं कुछ नहीं होने दूंगी। छाया अपना बैग उठाती है और घर से निकल जाती है।

छाया सीधा पुलिस स्टेशन जाती है और रमन के खिलाफ शिकायत दर्ज करती है। पुलिस छाया के साथ रमन के घर जाती है और मृदुला को रमन के चंगुल से छुड़वा लेती है, रमन को भी गिरफ्तार करके थाने ले जाती है।

थाने में मृदुला अपना बयान दर्ज करती है और उसके बाद छाया के गले लगकर रोने लगती है….माँ अब हम किधर जायेंगे?

छाया मृदुला के आंसू पोंछती है और कहती है….. किधर क्या, हम अपने घर जाएंगे बेटा। लेकिन घर जाने से पहले एक काम करना बाकी है बेटा….

वो क्या माँ?

छाया लेडी इंस्पेक्टर के पास जाती है और कहती है….एक शिकायत और दर्ज करवानी है मैडम।

किसके खिलाफ?

जी अपने पति प्रकाश के खिलाफ, उनके द्वारा किये जाने वाली घरेलू हिंसा और शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ।

शिकायत दर्ज करके माँ मेरा हाथ कसकर अपने हाथों में पकड़ती है और हम घर के लिए निकल जाते हैं।

आज माँ की आंतरिक शक्ति से पहली बार मेरा सामना हुआ था। मन बार-बार कह रहा होता है….. मुझे तुम पर गर्व है माँ।

❤सोनिया जाधव

#लेखनी कहानी ओ

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4 Comments

Arpit Singh

23-Dec-2021 08:52 PM

Achchi kahaani h apaki

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Shrishti pandey

23-Dec-2021 08:30 AM

Nice one

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Abhinav ji

22-Dec-2021 11:41 PM

बहुत बढिया

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